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Image : Aljazeera |
काबुल, 9 जुलाई 2025
मुख्य तथ्य:
- ईरान और पाकिस्तान से 10 लाख+ अफगान शरणार्थी वापस लौटे
- 70% जबरन निर्वासित किए गए
- अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव
- संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी - गहरा मानवीय संकट
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार, 9 जुलाई 2025 तक, ईरान और पाकिस्तान से 10 लाख से अधिक अफगान शरणार्थी अफगानिस्तान लौट चुके हैं, जिनमें केवल जून 2025 में 2.3 लाख से अधिक लोग शामिल हैं। ईरान द्वारा 6 जुलाई तक अवैध अफगानों को देश छोड़ने का आदेश देने के बाद जबरन वापसी में तेजी आई है।
वापसी का संकट
इस वर्ष अब तक ईरान से 7 लाख से अधिक और पाकिस्तान से लगभग 5 लाख अफगानों की वापसी हुई है, जिनमें से 70% जबरन निर्वासित किए गए। यह बड़े पैमाने पर वापसी तालिबान शासित अफगानिस्तान की नाजुक अर्थव्यवस्था और सीमित मानवीय संसाधनों पर भारी दबाव डाल रही है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि यह स्थिति देश को गहरे मानवीय संकट की ओर धकेल रही है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन सकती है।
वापसी के कारण
ईरान और पाकिस्तान में आर्थिक संकट और कड़ी प्रवासी नीतियों ने इस वापसी को बढ़ावा दिया है। ईरान ने 2025 में 3.66 लाख से अधिक अफगानों को निर्वासित किया, जिसमें जून में एक दिन में 36,100 लोगों की रिकॉर्ड वापसी शामिल है। पाकिस्तान ने भी अपनी "Illegal Foreigners Repatriation Plan" के तहत 2023 से अब तक लाखों अफगानों को वापस भेजा है।
मानवीय स्थिति
कई वापस लौटने वाले परिवार अपने सामान के साथ इस्लाम काला और तोरखम सीमाओं पर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनके पास न तो रोजगार के अवसर हैं और न ही स्थायी आवास। IOM और UNHCR ने सीमा पर भोजन, अस्थायी आश्रय, और नकद सहायता जैसे आपातकालीन समर्थन प्रदान किए हैं, लेकिन गंभीर धन की कमी के कारण केवल 10% जरूरतमंदों तक सहायता पहुंच पा रही है।
गंभीर आंकड़े: अफगानिस्तान में पहले से ही 2.37 करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं, और 1.48 करोड़ लोग तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
तालिबान सरकार की स्थिति
तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और विदेशी सहायता की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पुनर्वास और पुनर्स्थापन के प्रयास जटिल हो गए हैं। UNHCR के प्रतिनिधि अराफत जमाल ने कहा, "लौटने वाले परिवार थके हुए, भूखे और डरे हुए हैं, और कई ऐसे देश में पहुंच रहे हैं जिसे वे शायद ही जानते हैं।" विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंधों के कारण बढ़ते जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल वित्तीय और राजनयिक समर्थन की मांग की है, ताकि स्वैच्छिक, सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित की जा सके। IOM ने 2025 के लिए 2.42 अरब डॉलर की मानवीय सहायता की अपील की है, लेकिन अब तक केवल 22.2% धन प्राप्त हुआ है।
विशेषज्ञ चेतावनी: जबरन निर्वासन क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं, क्योंकि अफगानिस्तान की बुनियादी सेवाएँ - जैसे स्वास्थ्य, आवास, और शिक्षा - पहले से ही दबाव में हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ
यह संकट दशकों से चली आ रही अफगान शरणार्थी समस्या का हिस्सा है, जिसमें ईरान और पाकिस्तान ने 77 लाख से अधिक अफगानों को शरण दी थी। हालाँकि, दोनों देशों में बढ़ती आर्थिक कठिनाइयों और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं ने निर्वासन को तेज कर दिया है। UN एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि बिना समन्वित प्रयासों के, यह संकट अफगानिस्तान को और अस्थिर कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप और अधिक आंतरिक विस्थापन और मानवीय आपदा हो सकती है।
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